Monday 10 October 2016

NavDurga Maa


Navdurga Maa 

  • Durga is the mother of all Goddess.
  • The nine forms of Durga are worshiped during the nine days of Navratri.












1. Shailputri

Mantra - वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

Vande Vanchhit Laabhaay, Chandrardhkritshekharaam | 
Vrisharudham Shooldharaam Shailputriim Yashaswinim ||

ॐ देवी शैलपुत्र्यै नम
  • Governing Planet :- Moon
  • Iconography :- She rides a bull, carrying a Trishul in her right hand and a lotus flower in her left hand.
  • "Shail" means mountains, "putri" means daughter. Parvati, the daughter of the king Mountains Himavan is called Shailputri.
नवरात्र पूजन के प्रथम दिन कलश स्थापना के साथ इनकी ही पूजा और उपासना की जाती है| पौराणिक कथानुसार मां शैलपुत्री अपने पूर्व जन्म में प्रजापति दक्ष के घर कन्या रूप में उत्पन्न हुई थी| उस समय माता का नाम सती था और इनका विवाह भगवान् शंकर से हुआ था| एक बार प्रजापति दक्ष ने यज्ञ आरम्भ किया और सभी देवताओं को आमंत्रित किया परन्तु भगवान शिव को आमंत्रण नहीं दिया| अपने मां और बहनों से मिलने को आतुर मां सती बिना निमंत्रण के ही जब पिता के घर पहुंची तो उन्हें वहां अपने और भोलेनाथ के प्रति तिरस्कार से भरा भाव मिला| मां सती इस अपमान को सहन नहीं कर सकी और वहीं योगाग्नि द्वारा खुद को जलाकर भस्म कर दिया और अगले जन्म में शैलराज हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया| शैलराज हिमालय के घर जन्म लेने के कारण मां दुर्गा के इस प्रथम स्वरुप को शैल पुत्री कहा जाता है|












2. Brahmacharini

Mantra - दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥ 

Dadhaanaa Kar Padaabhyaamakshmala Kamandalu | 
Devi Prasidati Mayi Brahmcharinyanuttamaa ||

ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नम
  • Governing Planet :- Mars
  • Iconography :- Walks on bare feet, carrying a japa mala in her right hand and a kamandalu in her left hand.
  • Brahma that is who observes penace and good conduct.
  • The idol of this Goddess is very gorgeous.
माँ ब्रह्मचारिणी प्यार और वफ़ादारी को प्रदर्शित करती हैं| मा ब्रह्मचारिणी ज्ञान का भंडार है. रुद्राक्ष उनका बहुत सुंदर गहना हैं. माँ ब्रह्मचारिणी सक्षम है अनंत लाभ पहुँचाने मे | मा ब्रह्मचारिणी की आराधना करने से मनुष्य को विजय और विजय हर जगह प्राप्त होती हैं| 






3. Chandraghanta

Mantra -   पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यां चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

Pindaj Pravaarudh chandkopastrkairyuta | 
Prasadam Tanute Madhyam Chandraghanteti vishrutaa ||

ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नम
  • Governing Planet :- Venus
  • Iconography :- She mounts the tigress. She wears the semicircular moon on her forehead, it looks like bell (ghanta) hence her name. She is depicted with ten hands, 3 eyes and golden in color. 
  • She is charmful and bright.
  • She is mainly worshiped in Tamilnadu.
भगवती चंद्रघंटा की उपासना करने से उपासक आध्यात्मिक और आत्मिक शक्ति प्राप्त करता है और जो श्रद्धालु इस दिन श्रद्धा एवं भक्ति पूर्वक दुर्गा सप्तसती का पाठ करता है, वह संसार में यश, कीर्ति एवं सम्मान को प्राप्त करता है| माता चंद्रघंटा की पूजा-अर्चन- भक्तो को सभी जन्मों के कष्टों और पापों से मुक्त कर इसलोक और परलोक में कल्याण प्रदान करती है और भगवती अपने दोनों हाथो से साधकों को चिरायु, सुख सम्पदा और रोगों से मुक्त होने का वरदान देती हैं|









4. Kushmanda

Mantra -  सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

Suraasampoornam Kalasham Rudhiraaplutamev Cha | 
Dahdana Hastpadmaabhyaam Kushmanda Shubhdaastu Me ||

ॐ देवी कूष्माण्डायै नम
  • Governing Planet :- Sun
  • Iconography :- She rides on lioness and eight hands. 
जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था , चारों ओर अन्धकार ही अंधकार व्याप्त था, तब माँ कुष्मांडा ने ही अपनी हास्य से ब्रह्माण्ड कि रचना की थी ! अतः यही सृष्टि की आदि - स्वरूपा आदि शक्ति है ! इनके पूर्व ब्रह्माण्ड- का अस्तित्व था ही नहीं ! इनका निवास सूर्य मंडल के भीतर के लोक में है ! सूर्य लोक में निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्ही में है ! इनके शरीर की कान्ति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दीप्तिमान और भास्कर है ! इनके तेज की तुलना इन्ही से की जा सकती है ! अन्य कोई भी देवी - देवता इनके तेज और प्रभाव की समता नहीं कर सकते ! इन्ही के तेज और प्रकाश से दसों दिशाएं प्रकाशित हो रही है ! ब्रह्माण्ड- की सभी वस्तुओं और प्राणियों में अवस्थित तेज इन्ही की छाया है ! माँ कुष्मांडा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग - शोक विनष्ट हो जाते है ! इनकी भक्ति से आयु , यश , बल , और आरोग्य की वृद्धि होती है ! माँ कुष्मांडा अत्यल्प सेवा और भक्ति से भी प्रसन्न होने वाली है ! यदि मनुष्य सच्चे ह्रदय से इनका शरणागत बन जाये तो फिर उसे अत्यंत सुगमता से परम पद की प्राप्ति हो सकती है ! माता की उपासना मनुष्य को आँधियों - व्याधियों से सर्वथा विमुक्त करके उसे सुख - समृद्धि और उन्नति की ओर ले जाने वाली है ! माँ कुष्मांडा देवी के श्री चरणों में सत सत नमन !








5. Skandmata

Mantra - सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

Sinhaasangataam Nityam Padmaanchit Kardwayaa | 
Shubhdaastu Sadaa Devi Skandmata Yashaswini ||

ॐ देवी स्कन्दमातायै नम
  • Governing Planet :- Mercury
  • Iconography :- She mounts on the ferocious lion. she carries baby skanda in her lap. Lord Skanda (Kartikeya or Murgan) is the brother of Ganesha. She has four hands, three eyes.
माँ स्कंदमाता की उपासना करने से साधक अलौकिक तेज की प्राप्ति करता है | यह अलौकिक प्रभामंडल प्रतिक्षण उसके योगक्षेम का निर्वहन करता है| एकाग्रभाव से मन को पवित्र करके माँ की स्तुति करने से दुःखों से मुक्ति पाकर मोक्ष का मार्ग सुलभ हता है|


















6. Katyanani

Mantra - चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दू लवर वाहना| कात्यायनी शुभं दद्या देवी दानव घातिनि||

Chandrahaasojjval Karaa Shaardoolvarvaahanaa | 
Katyayani Shubham Dadyaad Devi Daanavghatini ||

ॐ देवी कात्यायन्यै नम
  • Governing Planet :- Jupiter
  • Iconography :- She rides on a magnificent lion and is depicted with four hands.
मार्कण्डये- पुराण के अनुसार जब राक्षसराज महिषासुर का अत्याचार बढ़ गया, तब देवताओं के कार्य को सिद्ध करने के लिए देवी मां ने महर्षि कात्यान के तपस्या से प्रसन्न होकर उनके घर पुत्री रूप में जन्म लिया|  महर्षि कात्यान ने सर्वप्रथम अपने पुत्री रुपी चतुर्भुजी देवी का पूजन किया, जिस कारण माता का नाम कात्यायिनी- पड़ा. मान्यता है कि यदि कोई श्रद्धा भाव से नवरात्री के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा आराधना करता है तो उसे आज्ञा चक्र की प्राप्ति होती है| वह भूलोक में रहते हुए भी अलौकिक तेज़ से युक्त होता है और उसके सारे रोग, शोक, संताप, भय हमेशा के लिए विनष्ट हो जाते हैं| मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण को पति रूप में प्राप्त करने के लिए रुक्मिणी ने इनकी ही आराधना की थी, जिस कारण मां कात्यायनी को मन की शक्ति कहा गया है|












7. Kalratri

Mantra - एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

Ekveni Japakarnpoora Nagn Kharaasthita |
 Lamboshthi Karnika karni Tailaabhyaktshariirini ||
Vaam Paadollasallohlata Kantakbhushanaa | 
Bardhan Moordham Dhwajaa Krishnaa Kalratribhayankari ||

ॐ देवी कालरात्र्यै नम
  • Governing Planet :- Saturn
  • Iconography :- She rides on a donkey and depicted with four hands. Her complexion is dark black.
  • She is enemy of darkness.
मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, इनका वर्ण अंधकार की भाँति काला है, केश बिखरे हुए हैं, कंठ में विद्युत की चमक वाली माला है, माँ कालरात्रि के तीन नेत्र ब्रह्माण्ड- की तरह विशाल व गोल हैं, जिनमें से बिजली की भाँति किरणें निकलती रहती हैं, इनकी नासिका से श्वास तथा निःश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालायें निकलती रहती हैं| माँ का यह भय उत्पन्न करने वाला स्वरूप केवल पापियों का नाश करने के लिए|
माँ कालरात्रि अपने भक्तों को सदैव शुभ फल प्रदान करने वाली होती हैं इस कारण इन्हें शुभंकरी भी कहा जाता है| 








8. Mahagauri

Mantra - श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचिः। महागौरी शुभं दघान्महादेवप्रमोददा॥ 

Shwete Vrishesamarudha Shwetaambardhara Shuchih | 
Mahagari Shubham Dadyanmahadev Praodadaa ||

ॐ देवी महागौर्यै नम
  • Governing Planet :- Rahu
  • Iconography :- She rides the bull, just like Shailputri. She has four arms.
  • She is as white as a conch, moon, jasmine.
  • She radiates peace and compassion.
भक्तके सारे पापों को जला देनेवाली और आदिशक्ति मां दुर्गा की 9 शक्तियों की आठवीं स्वरूपा महागौरी की पूजा नवरात्र के अष्टमी तिथि को किया जाता है| पौराणिक कथानुसार मां महागौरी ने अपने पूर्व जन्म में भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी, जिसके कारण इनके शरीर का रंग एकदम काला पड़ गया था. तब मां की भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं शिवजी ने इनके शरीर को गंगाजी के पवित्र जल से धोया, जिससे इनका वर्ण विद्युतप्भा की तरह कान्तिमान और गौर वर्ण का हो गया और उसी कारणवश माता का नाम महागौरी पड़ा|








9. Siddhidatri

Mantra - सिद्धगन्धर्वयक्षाघैरसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥ 

Siddha Gandharva Yakshdyairasurairamarairapi | 
Sevyamaanaa Sadabhuyaat Siddhida Siddhidayini ||

ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नम
  • Governing Planet :- ketu
  • Iconography :- She rides on the lion and depicted with four hands. She sats on kamal.
  • There are eight siddhis Anima, Mahima, Garima, Laghima,  Prapti, Prakamya, Lishitva & Vashista. she is the grantor of 26 different wishes to her Bhaktas.











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